कंजूस गरीब बहू की दावत – Puran Dewasi : MoralStories in Hindi

रीना हमेशा खुश रहना बेटी और अपने घर परिवार को भी हमेशा खुश रखना। हां मां पर आप और पापा भी अपना ख्याल रखना अब मैं नहीं रहूंगी यहां आप दोनों का ध्यान रखने के लिए‌। इतना कह कर रीना अपनी मां के गले लगी और फिर अपने पति राजेश के साथ अपने ससुराल जाने के लिए मुड़ गई। वैसे तो रीना अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी मगर परिवार की हालत कमजोर होने की वजह से रीना ने बड़ी मुश्किलें देखी थी।

लेकिन ससुराल जाकर अब सब कुछ बदलने वाला था अब। मां की इतनी सारी साड़ियां और यह सारा मेकअप का सामान यह सब बहुत ज्यादा नहीं है क्या। अरे तुम हमारे परिवार की इकलौती बहू हो तुम्हारे लिए नहीं करेंगे तो और किसके लिए करेंगे सब तुम्हारे लिए ही है जी भर के पहनो और खूब सज सवरकर रहो बाकी कुछ और भी चाहिए हो तो मैं झिझक मुझे कहना ठीक है। कमाल है यह लोग कितना फिजूल खर्च करते हैं मेरा काम तो इससे आधे सामान में भी चल जाता चलो कोई बात नहीं अब ले आए हैं तो रख लेती हूं लेकिन इस्तेमाल जरूरत के हिसाब से ही करूंगी।

ऐसा सोचकर रीना ने सारा सामान उठाकर अलमारियों में संभाल दिया। दिन बीतते गए और रीना ने बहुत कम समय में ही सबके दिलों में अपने लिए जगह बना ली और फिर एक दिन राजेश ले बेटा मैंने सारे सामान की लिस्ट बना दी है सारा सामान शाम से पहले ले आना और हां संजू हलवाई को भी बोल देना कल समय से आने को। ठीक है मां में सब संभाल लूंगा..! मां जी यह क्या इतनी लंबी लिस्ट अब घर में कोई दावत होने वाली है क्या…?

हां बेटा कुछ ऐसा ही समझ लो वो क्या है ना कि हमारे घर का रिवाज हैं हर शुभ काम के बाद गरीबों को खाना खिलाया जाता है। सोचा तो यह था कि तुम्हारी और राजेश की शादी तुरंत बाद ये भोज रखेंगे लेकिन उस वक्त फुर्सत ही नहीं हो पाई लेकिन अब जब सारे काम निपट गए हैं तो सोचा कि यह काम भी निपटा ले। वो सब तो ठीक है मां जी पर इतना सब कुछ बहुत ज्यादा नहीं है और यह पनीर और गुलाब जामुन मंगवाने की क्या जरूरत है अब गरीबों को ही खिलाना है ना खाना तो उन्हें तो कुछ सस्ता भी खिला देंगे तो भी चलेगा। नहीं बेटा यह तो पुण्य का काम है इसमें कंजूसी करना ठीक बात नहीं और वैसे भी हमें किस बात की कमी है। कमी अभी नहीं है पर अगर सब कुछ ऐसे ही चला रहा तो एक दिन कमी जरूर हो जाएगी।

मां जी माफ कीजिए अब अगर आपको बुरा ना लगे तो क्या इस बार मैं सब कुछ संभाल लूं। हां हां क्यों नहीं बेटा वैसे भी आगे तो तुम्हें ही सब संभालना है तो मुझे क्या दिक्कत हो सकती हैं ठीक है तुम और राजेश मिलकर सब संभाल लेना बाकी मेरी कोई मदद चाहिए हो तो बताना। कांटा को रीना की समझदारी पर कोई शक नहीं था वह यही समझती थी कि रीना को सोच समझ कर खर्च करने की आदत हैं जो की उसके हिसाब से भी एक अच्छी आदत ही थी।

लेकिन फिर भोज वाले दिन। रीना… यह क्या है बस इतने से लोग बुलाए तुमने चलो कोई बात नहीं अब अनाथ आश्रम और वृद्ध आश्रम के लिए कब चलना है और वहां ले जाने के लिए खाना तो तैयार है ना। नहीं मां जी वहां जाने की कोई जरूरत नहीं है जो होना था हो गया पूरे 11 गरीब बुलाए थे मैंने और सबको भरपेट खिचड़ी खिलाकर भेजा है। हें.. पर बेटा हमारे यहां तो। मां जी यहां जो होता आया है जरूरी नहीं कि आगे भी होता रहे मैंने सब देख और समझ लिया है आपने पापा जी की सारी कमाई हमेशा ऐसे ही बर्बाद की है लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी। मेरे पति कितनी मेहनत से पैसा कमाते हैं इसलिए नहीं की ऐसे ही ढेर सारी भीख मंगों को मेवा मिष्ठान खिलाने रही यह पहली बार था तो आपका मन रखने के लिए मैंने यह सब कुछ कर भी दिया पर आगे से फिर कभी यह ड्रामा नहीं होगा साफ-साफ बता रही हूं आपको।

अरे ये क्या बोल रही हो रीना बहुत गलत सोच है तुम्हारी मानती हूं कि फिजूल खर्च ठीक बात नहीं है लेकिन गरीबों को खाना खिलाना तो पुण्य का काम होता है बेटा भूखे पेट से निकली दुआओं से घर में सुख समृद्धि आती है आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बनता है। आने वाली पीढ़ियों का भविष्य ना बिगड़े इसलिए तो मैं यह सब फालतू खर्च रोक रही हूं मां जी आपको कोई अंदाजा नहीं है जिस तरह चीजों के दाम बढ़ रहे हैं कमाई नहीं बढ़ रही तो आगे सब अच्छे से चलता रहे उसके लिए हमें अभी से सोच समझ कर चलना होगा।

कांता को रीना का यह व्यवहार और उसकी सोच सही नहीं लगी लेकिन फिर भी वह छुप ही रही हालांकि रीना के पति राजेश मैं उसे एक दो बार समझाने की कोशिश की लेकिन जब रीना नहीं मानी। अब घर में सब कुछ रीना के हिसाब से ही चलने लगा। रीना मैं तुमसे कहा था ना आज कुछ अच्छा बनाने के लिए और तुमने यह बनाया खाने में मेरे दोस्त क्या सोच रहे होंगे सब कितने मां से तुम्हारे हाथों का खाना खाने आए थे। अरे वह आज मुझे बहुत सारे कपड़े धोने थे तो समय जरा काम था। इसमें भी गलती तुम्हारी है घर के बाकी कामों के लिए अच्छी भरी नौकरानी लगी थी क्या जरूरत थी उसे काम से हटाने की मैं देख रहा हूं सारा बिन घर के कामों में लगी रहती हो ना अपने लिए समय है तुम्हारे पास और ना मेरे लिए। आप भी ना कमाल हो एक तो नौकरानी को हटाकर मैं आपके पैसे बचाएं हैं। ऊपर से आप मुझ पर ही गुस्सा कर रहे हो और खाने का क्या है रोज ही तो खाना है फिर क्या अच्छा और क्या बुरा।

रीना की कंजूसी वक्त के साथ बढ़ती जा रही थी और उसे रोक पाना किसी के बस में नहीं दिख रहा था। इस तरह पैसे बचा कर रीना बहुत खुश थी। हालांकि इस सब में एक खुशी थी जो चाहकर रीना हासिल नहीं कर पा रही थी। पर मैं ऐसा कैसे हो सकता है आप बोल रही हैं कि हम दोनों में से किसी में प्रॉब्लम नहीं है तो फिर प्रॉब्लम है कहां? देखिए मैं सारे जरूरी टेस्ट करवा चुकी हूं सब कुछ ठीक है। तो मैं फिलहाल यही कह सकती हूं कि आप भगवान की मर्जी का इंतजार कीजिए। शादी को 5 साल बीतने के बाद भी रीना की गोद नहीं भर पाई थी। और इस बात की तकलीफ अब रीना को अंदर ही अंदर खाई जा रही थी ना इलाज काम आ रहा था और ना ही कोई ईश्वर से प्रार्थना का फल मिल रहा था। नतीजा यह कि अब रीना बहुत उदास रहने लगी थी और यह देखकर कांता को भी बहुत बुरा लग रहा था।

रीना तुम परेशान मत हो भगवान चाहेंगे तो सब ठीक होगा। नहीं मान जी कुछ ठीक नहीं होगा पता नहीं भगवान मुझे किस बात की सजा दे रहे हैं। शादी से इतनी मुसीबतें देखी वह कम थी क्या जो अब शादी के बाद बे औलाद होने का दुख लिख दिया भगवान ने मेरे नसीब में। नहीं रीना ऐसे नहीं बोलते देखो मैं जानती हूं की वैसे तो तुम्हें इस सब में विश्वास नहीं है लेकिन बेटा बस एक बार मेरे कहने पर तुम मेरे साथ हमारे कुल गुरु जी के पास चलो मुझे पूरा विश्वास है कि वह इस समस्या का हल जरूर बता सकेंगे।

रीना इस वक्त हिम्मत हार चुकी थी तो उसके पास अपनी सास की बात मानने के सिवाय और कोई सारा नहीं था। वह कांता के साथ कुलगुरुजी के पास गई जो कि रीना के बारे में सब कुछ पहले से जानते थे। बेटी यह सत्य है कि तुमने अपने जीवन में बहुत सी कठिनाइयां का सामना किया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि उन मुश्किल वक्त की तकलीफों का दर्द तुम जीवन भर अपने साथ लेकर चलो जी भर के खुशियां बांटो और फिर देखना ईश्वर तुम्हें तुम्हारी खुशी अवश्य देंगे। जी मैं मैं कुछ समझी नहीं क्या करना होगा मुझे..?

कुछ खास नहीं बस अब से लेकर पूरे 3 महीना तक हर रोज पांच गरीबों को भोजन कराओ और ध्यान रहे भोजन से करवाना जैसे साक्षात ईश्वर तुम्हारे घर पधारे हो और तुम उन्हें भोजन करा रही हो। क्या पूरे 3 महीना तक लेकिन इससे इससे क्या होगा यह तो बस रीना आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही कांत ने उसका हाथ पकड़ कर चुप रहने का इशारा किया। सच यही था कि रीना को यह सब फालतू खर्च लग रहा था। लेकिन फिर भी उस कुल गुरु जी की बात माननी ही पड़ी।

शुरू में रीना को यह गरीबों को खाना खिलाने में बड़ी तकलीफ हुई लेकिन फिर धीरे-धीरे उसे यह सब करके अच्छा महसूस से होने लगा और वह बड़ी श्रद्धा और खुशी से अपने हाथों से गरीबों को खिलाने के लिए बढ़िया खाना बनाने लगी और फिर एक दिन मुबारक हो रीना जी आप मां बनने वाली है। डॉक्टर के यह शब्द मानो रीना के लिए किसी अमृत से कम नहीं थे। उसकी आंखों से फौरन आंसू बहने लगे और रोते हुए उसने राजेश से कहा सुनिए मुझे जल्दी घर ले चलिए। आराम से रीना तुम परेशान मत हो मैंने मां को फोन पर यह खुशखबरी पहले ही दे दी हैं। जी अच्छा किया पर मुझे घर जाने की जल्दी किसी और वजह से है मुझे घर जाकर तैयारीयां करनी है। कैसी तैयारी दावत की इतनी बड़ी खुशखबरी मिली है तो दावत तो बनती है ना।

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