गवार जेठानी मॉडर्न देवरानी – puran dewasi : Moral stories in hindi

सरिता जानकी देवी की बड़ी बहू जिसे जानकी देवी गवार समझती है और घर के बाहर के सभी जरूरी कामों से दूर रखती है। सपना बहू कहां हो अरे बाजार में आज भीड़ होगी हम पहले ही लेट हो चुके हैं। आई मां जी बस यह अपना न्यू पर्स जो मॉम लंदन से लेकर आई थी ना वो ले रही थी। मां जी आपने वो प्लाजो सूट नहीं पहना जो मैं आपके लिए नया लेकर आई थी। अरे बहु मुझे साड़ी में ही आराम मिलता है। चलो ठीक है कल वो पहन लूंगी। अब साल दिवाली की शॉपिंग के लिए बहुत समय चाहिए होता है। हां हां चलिए मां जी रात के खाने में दाल चावल और सुखी की अरबी की सब्जी बना लूं।

अरे गवार कहीं जाते समय टोकन जरूरी था। रहेगी तू बिल्कुल गंवार की गंवार ही बना लें जो बनाना है। मां जी सरिता भाभी हमारे साथ दिवाली शॉपिंग पर नहीं जाएगी। कैसी बातें करती हो बहू तुम तो मॉडर्न हो तुम जानती हो तुम्हारी जेठानी गंवार है। इसे कोई अकल थोड़ी है बाजार में शॉपिंग करने की चलो बहुत देर हो चुकी है पहले ही। अरे गुंजन का फोन आ रहा है। हां बिटिया कैसी हैं तू। मैं ठीक हूं।हां हां सब ठीक है। अच्छा चल ठीक है मैं तुझे शॉपिंग से आकर बात करती हूं। क्या कहां जरूरी है हेलो हेलो कट गया अब मिल नहीं आकर कर लूंगी। गुंजन दीदी का फोन था। हां पर अब मिल नहीं रहा एक काम करते हैं पहले बाजार हो आते हैं फिर मैं आकर तसल्ली से बात कर लूंगी।

सरिता की आंखों में आंसू आ जाते हैं उसकी सास और देवरानी मार्केट शॉपिंग करने चली जाती है। सरिता घर के सारे काम करती हैं। ऐसा अक्सर ही होता था सरिता घर के सारे काम अकेले ही करती थी। जबकि उसकी देवरानी को घर का कोई भी काम करना नहीं आता था। फर्क बस इतना था कि सरिता गरीब परिवार से आई थी। वो बेचारी बहुत सीधी सादी थी। जबकि उसकी देवरानी सपना एक अमीर खानदान की लड़की थी। इसलिए जानकी देवी ने सपना को बहुत सिर पर चढ़ा रखा था। पर सरिता इन सब के लिए कुछ भी नहीं कहती थी वह स्वभाव की बहुत अच्छी थी।

सरिता तुम नहीं गई मां के साथ तुम भी चली जाती। नहीं वो मेरे सिर में बहुत दर्द था। तो मैंने सोचा कि आराम कर लूंगी फिर घर का काम भी था इसलिए नहीं गई आपके लिए और रोटी लाऊं। सरिता यहां बैठो मेरे पास मैं जानता हूं मां तुम्हारे साथ अच्छे से व्यवहार नहीं करती है तुम कहो तो मैं मां से बात करूं कब तक वह तुम्हें घर के बाकी कामों से दूर रखेगी और जब से राजेश की शादी हुई है सपना के आज जाने के बाद तो उन्होंने तुम्हें और परेशान करना शुरू कर दिया है।

कोई बात नहीं जी अभी अपनी सपना की नई नई शादी हुई है कुछ सही महीने तो हुए हैं अभी उसे आराम करने दो। मुझे पता है सरिता मन तो तुम्हारा भी दुखी होता है पर तुम मुझसे कुछ कहती नहीं हो। सरिता खाना बना रही थी वही उसकी देवरानी सास के साथ मिलकर शॉपिंग के समान को देखकर रही थी।

राजेश बताओ ना यह जींस कैसी लग रही है। मां जी आप बताओ यह तो कुछ बोलते ही नहीं है जब देखो फोन में घुसे रहते हैं। अरे बहु तू तो पतली पतंग है तेरे ऊपर तो सब कुछ अच्छा लगता है वैसे भी हमारी मॉडर्न बहू स्टाइलिश कपड़े पहनती हैं किसी से कम थोड़ी है। मां जी यह नाइट सूट तो आप पहन लो मुझे यह कलर पसंद नहीं आया मैं ये ब्लैक वाला रख रही हूं। अरे बहू कैसी बातें करती हो मैं इस उम्र में नाइट सूट थोड़ी पहनूंगी एक काम करेंगे कल वापस करके इसकी जगह तुम कोई और रंग का पसंद करके ले आना। मां जी अगर आप कहो तो यह सरिता भाभी को दे दूं। अरे पागल है क्या इतना सुंदर स्टाइलिश नाइट सूट उस गवार पर थोड़ी जचेगा। अरे तू अपनी जेठानी को समझती क्या है तेरी जेठानी गवार है। उस पर कुछ नहीं जचता कोई पढ़ी-लिखी भी नहीं है। ना उसे किसी से बात करने की तमीज है कुछ नहीं है उसमें समझ ऐसे कपड़े ऐसा पहनावा तेरे पर ही जचता है। समझी रख ले इसको कल बदल कर ले आना।

अरे मैं गुंजन को फोन करना तो भूल ही गई एक बार फोन मिला लेती हूं मिस कॉल आई हुई है। हेलो हां गुंजन तूने फोन किया था। हां मां कल शाम शिल्पी के ससुराल वाले दिवाली और करवा चौथ का त्योहार देने आ रही है। सासू मां बोल रही थी कि आप दोनों भाभियों के साथ सुबह ही आ जाना। हां हां यह भी कोई कहने की बात है शिल्पी हमारी बेटी ही है हम जरूर आ जाएंगे सुबह जल्दी पहुंच जाएंगे। और तो चिंता मत कर सपना बहु बहुत मॉडर्न है वह वहां जाकर सारा कुछ संभाल लेगी।

जैसा जानकी देवी ने अपनी बेटी को कहां उसका उल्टा ही हुआ सपना तो मॉडर्न पहनावे में तैयार होकर बस वहां जाकर अपने मोबाइल फोन पर लग गई या फिर इधर-उधर बैठकर बत्तियां ने लगी। गुंजन देखती है कि सरिता ने सब कुछ संभाल लिया है। जल्दी जल्दी उसने द्वार पर बहुत ही सुंदर रंगोली बना दी। रसोई में गुंजन के सास के साथ मिलकर सारे पकवान भी तैयार कर दिए, अच्छे से ड्राइंग रूम भी सेट कर दिया। सब कुछ गुंजन देख रही थी पर मजाल है कि सपना ने एक गिलास इधर से उधर भी रखा हो। शाम को शिल्पी के ससुराल वाले आए तब भी सरिता ने ही सारे कामों में मदद की ।

जब वह लोग चले गए तब गुंजन की सास सरिता के पास आई सरिता बहु तुम बहुत ही समझदार और संस्कारी हो तुम्हें घर गृहस्ती की एक-एक चीज का बारीकी से पूरा ज्ञान है। शुक्रिया तुमने आज सब कुछ बहुत अच्छे से संभाल लिया। हमारे यहां तो किसी को रंगोली बनाने आती ही नहीं थी पर तुमने इतनी सुंदर रंगोली बनाई गुंजन के साथ मिलकर सभी मेहमानों की खूब खातिरदारी की अब मैं चाहती हूं शादी के समय भी तुम हमारे साथ ही रहो तुम यहां रहोगी तो मेरी चिंताएं दूर हो जाएगी। थैंक यू सरिता भाभी आशीष बोल रहे थी कि सबको आपकी बनाई रंगोली बहुत सुंदर लगी सब आपकी बहुत तारीफ कर रही थे।

हां भाभी सचमुच आपके आज आने से मुझे आज बहुत हेल्प मिली है। सब लोग बहुत खुश होकर गए हैं। मां तुम बहुत लकी हो जो तुम्हें सरिता भाभी जैसी बहू मिली। सबके मुंह से सरिता की तारीफ सुनकर जानकी देवी एक पल के लिए सोचने लगती है कि वह गलत थी। जो हमेशा सरिता को गवार कहकर उसका अपमान करती रही पर आज सरिता ने अच्छी सी सब कुछ संभाल लिया था। जानकी देवी को अपनी गलती का एहसास हो गया था और वह अपनी गलती को सुधारना चाहती थी।

मां जी आज आप और मैं मिलकर रसोई में इतना सारा काम कर रहे हैं सरिता भाभी कहां है मुझे रसोई में बहुत गर्मी लग रही है मैं थोड़ी देर जाकर सो जाऊं। आज सरिता और अजय घूमने के लिए गए हैं मैं ने उन्हें पिक्चर देखने भेजा है कितने सालों से वह दोनों एक साथ कहीं घूमने नहीं गए थे। और तुम तो हमेशा राजेश के साथ जाती रहती हो इसलिए आज तुम घर का काम करो मैं भी तो कर रही हूं। अरे दोनों मिलकर करेंगे तो पता भी नहीं चलेगा।

ये मां जी को क्या हो गया है कल तक तो सरिता भाभी को गवार कहती थी मेरे आगे पीछे डोलती थी आज उल्टा ही चल रहा है। अब क्या करूं इन्हें खुश करने के लिए मुझे काम करना ही पड़ेगा वरना इनका कोई भरोसा नहीं की कब पीछे…। क्या हुआ सपना बहू तुमने कुछ कहा। नहीं नहीं कुछ नहीं मां जी उसे दिन के बाद जानकी देवी ने अपनी दोनों बहुओं के बीच में फर्क बिल्कुल खत्म कर दिया। वह जितना प्यार और सम्मान सपना को देती थी उतना ही सरिता को भी देती थी। यह सब देखकर सरिता बहुत खुश थी।जिस प्यार और सम्मान की वह आशा करती थी आज उससे वह मिल गया था।

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