मिर्जापुर में रहने वाले विनीत की शादी गांव की एक गरीब लड़की पल्लवी से हुई थी। विनीत एक सरकारी कर्मचारी था। वह अपने एक दोस्त की शादी मे मिर्जापुर गया था। जहा उसकी मुलाकात पल्लवी से हुई। दोनों में प्यार हुआ फिर विनीत पल्लवी से ब्याह कर उसे शहर ले आया।
विनीत के माता-पिता का निधन कई साल पहले हो चुका था। उसके परिवार में उसके अलावा उसकी तीन बहनें पायल टीना और कंचत थी। वह तीनों बहुत ही लालची थी। इसलिए गरीब घरकी भाभी आने से वह तीनों खुश नहीं थी क्योंकि दहेज में पल्लवी कुछ भी नहीं लाई थी।
अगर विनीत भाई हमारी मर्जी से शादी करते ना तो ऐसी अमीर लड़की लेकर आते कि यह सारा घर चुटकियों में भर जाता। हां यह घर छोटा पड़ जाता लेकिन दहेज में आया सामान खत्म नहीं होता। हां लेकिन भाई की किस्मत तो देखो ना जाने कहां से ये गरीबलड़की पल्ले पड़ गई।
वो तीनों नई नवेली दुल्हन पर खूब अत्याचार करती उससे घर का सारा काम करा लेती और हर वक्त गरीबी के ताने देती। शादी के कुछ महीने बाद पल्लवी पहली बार अपने मायके गई थी। आज चार दिन बाद वो मायके से वापस आने वाली थी। उसकी तीनों लालची नंदे बड़ी बेसब्र से उसका इंतजार कर रही थी। बताओ महारानी कह रही थी कि दिन तक आ जाउंगी लेकिन अब तो शाम होने वाली है। अभी तक नहीं आई किचन में ढेर सारे बर्तन और बाथरूम में कपड़े पड़े धोने को अगर आज नहीं आई तो अरे कपड़े तो वह कल भी आकर धो सकती है। लेकिन बर्तन ना बाबा ना मुझसे नहीं धुलता बर्तनों का ढेर तभी पल्लवी अपने मायके से वापस आ जाती है।
लो आ गई महारानी बड़ी देर लगा दी आने का मन नहीं था क्या उस झोपड़ी वाले महल से… वह दीदी आते वक्त चाचा चाची के यहां होकर आई थी। सोचा इतनी दूर आई हूं तो उनसे भी मिलती चलूं। अच्छा फिर कुछ दिया भी उन्होंने या बस यूं ही सूखा-सूखा भेज दिया। जी वो आप सबके लिए सूट भिजवाए हैं मां ने और चाची ने मिठाई का डिब्बा दिया है।
अच्छा लाओ तो दिखाओ जरा। दीदी बहुत थक गई हूं जोरों की प्यास भी लगी है पहले थोड़ा पानी पी लूं। हां हां ठीक हैं ठीक हैं। पल्लवी जैसे ही किचन में जाती है वह तीनों जल्दी से उसका बैग खोलती है। सबसे ऊपर मिठाई का डिब्बा रखा हुआ होता है। वो तीनो मिठाई का डिब्बा खोलकर जल्दी से उसमें से कुछ मिठाई खा लेती है।
कुछ देर बाद पल्लवी बाहर आती हैं। वो तीनों नंदो को अपनी गरीब मां के दिए हुए सूट देती है। वो सूट देख कर कहती है कुछ खास नहीं है और और क्या दिया है तुम्हारे मां-बाप ने इसके अलावा… मेरे गरीब मां-बाप और क्या देते दीदी यह सामान भी उन्होंने मुखिया जी से उधार लिए पैसों से खरीदा है। हां हम तो भूल ही गए थे यह गरीब है चल अब जो रसोई में बर्तन पड़े हैं उन्हें धोने के बाद कपड़े धो देना। फिर हम सबके लिए खाना बना कर तैयार कर देना पल्लवी आते ही घर के कामकाज में जुट जाती है।
तीनों नंदे उस पर खूब अत्याचार करती ताकि एक दिन वह परेशान होकर यह घर छोड़कर चली जाए। और वह अपने भाई की शादी एक अमीर लड़की से कर सके। विनीत काम के सिलसिले में अक्सर बाहर रहता इसलिए वह इन सब बातों से अनजान था। एक रात पल्लवी अपने कमरे में सोई होती है। तभी उसे किसी के सीखने की आवाजें आती है। वह भागते हुए अपनी नंदो के कमरे में जाती हैं। जहां मोहल्ले के तीन बदमाश लड़के उनके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे होते हैं। यह देख पल्लवी जल्दी से नजदीक के पीसीआर को फोन कर देती है। साथ ही एक बड़ा सा डंडा लेकर आती है और उन तीनों की खूब पिटाई करती है।
कुछ ही देर में पुलिस भी वहां आ जाती है। और उन तीनों बदमाशों को पकड़ कर ले जाती हैं। अब तीनों नंदो को अपने किए पर बहुत पछतावा था। वह अपनी भाभी से माफी मांगती हैं और फिर खुशी-खुशी उसके साथ रहती हैं।