दो बहू और सासु मां का बंटवारा – puran dewasi  : Moral stories in hindi

सविता की दोनों बहुएं सुलोचना और रमा आपस में बहुत लड़ती रहती थी। इस करण घर का माहौल सुबह से ही खराब हो जाता था। रमा जब तुम्हें पता था कि मुझे पिंकी और बंटी की स्कूल की यूनिफॉर्म लेने के लिए बाजार जाना है तो तुम कल रात को छोले भिगो का रख सकती थी। मुझे बाजार से आने में देर हो गई तुम्हें पता था इतवार की छुट्टी है इसलिए सुबह-सुबह छोले भटूरे ही बनेंगे पर अब क्या बनाएं नाश्ते में हरीश और बच्चों का भटूरे छोले खाने का बहुत मन था पर आज तुम्हारी गलती के कारण सुबह-सुबह नाश्ते में भटूरे छोले नहीं बनेंगे।

मैंने आपका ठेका नहीं उठाया हुआ है कि आपकी नौकरी करती फिरु मुझे भी पूजा और राजू का होमवर्क करवाना था मैं उन्हें स्कूल का होमवर्क करवा रही थी मेरे पास भी इतना टाइम नहीं होता कि मैं भी छोटी-छोटी चीजें जे याद रखूं और हां मेरे ऊपर इतना हुकुम चलाने की जरूरत नहीं है मैं आपका दिया नहीं खाती हूं मेरा पति भी बराबर का काम करता है इसलिए खुद भी इन चीजों का ध्यान रखना शुरू करो। ऐसे काम नहीं चलेगा अब तो इस घर का बटवारा होकर ही रहेगा। मैं रोज-रोज इस क्लेश में नहीं रह सकती हरीश जल्दी से बाहर आओ। हां मनीष तुम भी बाहर आओ बस फैसला हो ही जाए। हरीश और मनीष दोनों बाहर आते हैं।

सविता मंदिर गई हुई थी इतनी देर में वो भी मंदिर से आ जाती है। बस बहुत हो गया अब इस आंगन में दीवार खड़ी होगी हां हां मुझे भी इनके साथ नहीं रहना मनीष अगर आज के आज इस आंगन में दीवार खड़ी नहीं हुई तो मैं अपने मायके चली जाऊंगी। लगता हैं ये दोनों नहीं मानेगी अब हम दोनों का अलग होना ही ठीक है रोजाना की लड़ाई से मैं भी तंग चुका हूं और मुझे पता है रमा लड़ाई से बाज नहीं आएगी। आपके कहने का क्या मतलब है भैया खाली रमा की गलती हैं सुलोचना भाभी भी तो कम नहीं है वह भी तो कितना लड़ती है अम्मा के साथ अब तो मैं भी यही कहता हूं दीवार खिसना ही चाहिए।

सुनो जी जरा इधर आना मैं कह रही थी अगर बटवारा हो रहा है तो सासू मां का भी बटवारा करने में देर नहीं लगाते पता चले सासू मां हमारे साथ रहने के लिए आ जाए और यह दोनों आराम से रहे सासू मां का भी तो खर्चा होगा। रुको मैं बात करता हूं। नहीं नहीं तुम रहने दो तुम कहोगे तो अच्छा नहीं लगेगा मैं बात करती हूं अगर घर का बंटवारा हो रहा है तो मां जी का भी बटवारा होगा। हां तो ठीक हैं हम सासू मां का भी बटवारा कर लेते हैं। यह क्या कह रही हो बहू मुझे तो अपने दोनों बच्चों के साथ रहना है और तुम दोनों क्यों अलग होने की बात कर रही हो। मां जी ठीक ही तो है घर का बटवारा होगा तो आपका भी बटवारा होगा मैं अकेली पागल नहीं हूं जो आपको रख लूंगी।

अब तो सिर्फ एक ही रास्ता है कुछ दिन मां को तुम अपने पास रखो कुछ दिन वह हमारे पास आएंगे ऐसे हम दोनों को दिक्कत नहीं होगी क्यों हरीश भैया। हां ठीक है फिर यह ठीक रहेगा। मम्मी मुझे पूजा के साथ खेलना है। मम्मी मुझे भी पिंकी के साथ खेलना है। मम्मी मुझे भी राजू के साथ बैट बॉल खेलना है मम्मी। मम्मी सुनो मुझे बंटी के साथ खेलना हैं। अब तुम सब एक साथ कभी नहीं खेलोगे चलो घर के उस हिस्से में जाकर खेलो। सुनो जी दीवार बनाने वाले को बुला लो आज इस घर का बटवारा हो ही जाएगा। सविता की आंखों में आंसू छलक रहे थे चारों बच्चों का भी रो-रो कर बुरा हाल था।

आज घर परिवार के बंटवारे के साथ-साथ सास का भी बटवारा हो गया था। सविता कुछ दिन सुलोचना के साथ रहती तो कुछ दिन रमा के साथ। सुलोचना और रमा सविता के साथ बहुत अत्याचार करती थी। देखो मां जी रमा के घर में आप जैसे मर्जी रहती हो पर मेरे घर में यह सब नहीं चलेगा अपने बर्तन और कपड़े खुद ही धोया करो मेरी नौकरानी ने पहले ही मना कर दिया कि वह इतने लोगों का काम नहीं करेगी पता चला आपके बर्तन और कपड़ों के कारण मेरी कामवाली चली गई तो मेरे ऊपर तो मुसीबत आ जाएगी ना। कोई बात नहीं बहू मैं अपने बर्तन और कपड़े धो दिया करूंगी तुम परेशान मत हो।

सासू मां यहां आपको रहते एक महीना बीत चुका है कल आपको रमा के घर जाना हैं इसलिए अपना बोरिया बिस्तर भी उठाकर रख दो। पता नहीं एक मुसीबत कम है जो एक और मुसीबत को हमें संभालना पड़ रहा है। दादी मां लाओ मैं आपके साथ बर्तन धुलवा देता हूं। नहीं मेरी बच्ची तू अभी बहुत छोटी है मैं अपने बर्तन खुद धो लुंगी। पिंकी पिंकी इधर देख यहां दीवार की छेद में पूजा अरे तू तो यहां से मुझे पूरी दिखाई दे रही है पता है मेरे को अकेले खेलने का मन ही नहीं करता मुझे तेरी बहुत याद आती है।

यह देख पापा मेरे लिए नई गुड़िया ले आए हैं। हां मेरा भी अकेले खेलने का मन नहीं करता हम दोनों साथ में कितने मजे करते थे पर मम्मी मेरे को तेरे से बात भी नहीं करने देती पिंकी। पूजा तुम दोनों ऐसे बात मत करो नहीं तो मम्मी डांट लगाएगी। बंटी कितने दिन से हम दोनों ने बैट बॉल नहीं खेला मुझे तेरे साथ बैट बॉल खेलना है बंटी। इन दोनों बहुओं की लड़ाई में मासूम बच्चे कितना दुख झेल रहे हैं। यह दिन देखने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई। अगले दिन सविता रमा के घर रहने जाती हैं। आ गई मुसीबत बड़ी जल्दी इस बार एक महीना बीत गया पता ही नहीं चला जाओ जाकर कपड़े पड़े हैं उन्हें धो लो।

रमा सास को एक गिलास पानी भी नहीं पूछती और आते ही कपड़े धोने के लिए लगा देती हैं। सविता मन ही मन बहुत दुखी रहने लगी थी इस तरह दोनों बहुओं ने उसका बटवारा कर दिया था। इधर-उधर रहते-रहते वह बहुत तंग आ गई थी। एक दिन सविता ने सोच लिया कि वह घर छोड़कर चली जाएगी।

सब लोग सो रहे थे और सविता घर छोड़कर निकल पड़ी पर चारों बच्चे भी घर से गायब थे। सब तरफ ढूंढने पर भी बच्चे कही नहीं दिखाई दिए। अचानक सुलोचना की नजर मंदिर की सीढ़िया पर बैठी सविता पर पड़ी मां जी बच्चे कहां हैं हम आपको सुबह से ढूंढ रहे है बताइए बच्चे कहां हैं। बच्चे वो तो मेरे साथ नहीं है मैं तो अकेली ही घर छोड़कर निकली थी बच्चे कहां चले गए।

हे भगवान अगर बच्चे मां जी के साथ नहीं है तो फिर कहां है। एक काम करते हैं हम सब अलग-अलग जगह पर ढूंढते हैं कहीं ना कहीं जरूर मिल जाएंगे तुम सब घबराओ मत चलो मनीष हम दोनों ऊधर ढूंढते हैं। ठीक है भैया। सब लोग घबरा जाते हैं बच्चों का कही पता नहीं था काफी देर तक ढूंढने के बाद उन्हें पार्क में बच्चे दिखाई दे जाते हैं। पर उन बच्चों की बातें सुनकर सबकी आंखों में आंसू आ जाते हैं।

पूजा दीवार की उस तरफ वाला घर तुम्हारा है और दीवार के इस तरफ वाला घर मेरा है। पिंकी मेरा भी घर इधर है और तुम्हारा उस तरफ अब तुम मेरे घर में बिल्कुल मत आना। हां बंटी मैं भी तुम्हारे घर नहीं आऊंगी और तुम भी मेरे घर मत आना अब हम सब के घर में बटवारा हो गया है। फिर एक परेशानी है अगर हम सब ने बटवारा कर लिया है तो मम्मी पापा का भी तो बटवारा होगा। एक काम करते हैं मैं मम्मी को रख लूंगा पिंकी तुम पापा को रख लेना। हां ऐसे ही मैं मम्मी को रख लूंगा और पूजा पापा तुम्हारे साथ रह लेंगे। पर मैं दादी को तुम्हारे साथ नहीं जाने दूंगी। नहीं दादी मेरे पिंकी के साथ रहेगी हम दादी का बटवारा नहीं करेंगे। दादी के पीछे चारों बच्चे लड़ने लगते हैं।

सुलोचना और रमा की आंखें खुल जाती है। आज बच्चे अपने माता-पिता का तो बटवारा कर रहे थे पर अपनी दादी का नहीं। आज हमने यह अपने बच्चों को ऐसी सिख दी हैं। तभी हमारे बच्चे आपस में इतने छोटे होकर बटवारे की बात कर रहे हैं। आप ठीक कह रही हो भाभी हम से बहुत बड़ी भूल हो गई अब इसका एक ही उपाय है कि हम फिर से एक हो जाए तभी हमारे बच्चों में अच्छे संस्कार पैदा होंगे वरना बहुत देर हो जाएगी।

मनीष मेरे भाई मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई मैंने अपने भाई से अपने आप को अलग कर दिया। चलिए मां जी अपने घर चलिए। बच्चे जब देखते हैं कि उनके माता-पिता फिर से एक हो गए है तो बच्चे भी अपने दिमाग से बंटवारे की बात हटा देते हैं और फिर से एक साथ मिलकर खेलने लगते हैं। अपने परिवार को फिर से एक जुट होता देख सविता की आंखों में शांति और सुकून था और आंखों में खुशी के आंसू थे।

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