अर्चना की अभी नई-नई शादी हुई थी। और आप सभी जानते हैं की शादी के बाद हर लड़की अपने मायके जाती हैं पर यह क्या शांति के घर का तो रिवाज ही कुछ अलग था। अर्चना को ससुराल में आए 10 से भी ज्यादा हो चुका था। पर अब तक शांति ने उसे अपने मायके जाने की इजाजत नहीं दी थी। ऐसे ही एक दिन अर्चना की मां अर्चना को फोन करती हैं। अर्चना बेटा तुझे अपना ससुराल इतना पसंद आ गया कि तुम शादी के बाद पग फेरे की रस्म के लिए भी नहीं आई। ऐसा कुछ नहीं है मां मेरा तो बहुत दिल करता है आपसे मिलने का दिल तो कर रहा है कि अभी उड़कर ही आ जाऊं। पर मां जी हैं की आने ही नहीं दे रही। क्यों नहीं आने दे रही अपनी सास को फोन दे मैं खुद बात करती हूं तेरी सास से आखिर क्या वजह है जो वो तुझे पग फेरे की रस्म के लिए नहीं आने दे रही। अरे 1 दिन की ही तो बात है मां विवेक जी ने मां जी से बात की थी इस बारे में तो मां जी बता रही थी कि अभी कोई नक्षत्र सही नहीं है हमारा घर से निकलना अच्छा नहीं है। मां जी कह रही थी कि वह दिन दिखाएंगे पंडित जी से और जिस दिन पंडित जी कहेंगे उसी दिन आप आना होगा। अब यह कौन सा नया बहाना है नक्षत्र का खैर अगर तेरी सास कह रही है तो होता होगा पर अपनी सास से कहना जल्दी दिन दिखाए पग फेरे की रस्म शादी के बाद तुरंत होती हैं ना कि कुछ महीनो बाद इतना बोलकर अर्चना की मां फोन रख देती हैं।
अर्चना चाय लेकर अपनी सास के पास जाती हैं और एक बार फिर शांति से डरते हुए मायके जाने की बात करती हैं। मां जी हमारी शादी को 10 दिन से भी ऊपर हो चुके हैं बार-बार मां का फोन आ रहा है पूछती हैं कि मैं मायके कब आऊंगी अब जरा जल्दी पंडित जी से बात कीजिए ना। अरे क्या मायका मायका कर रही है बहू तुझे मायके क्यों जाना है शादी के बाद लड़की का असली घर उसका ससुराल होता है और तू तो आ गई ना अपने असली घर में अब कौन से घर जाना है तुझे। पर मां जी आपने तो कहा था कि आप पंडित जी से बात करके बताएंगे। अरे बहु वह तो जिस दिन तू घर में आई थी मैंने उस दिन तुझे कहा था। अब तो तेरी शादी को 15 – 20 दिन होने को है अब तो कोई नई बहू थोड़ी ना रही है अब तो तो घर के काम भी कर रही है अब ना मायके जाने की बात मत किया कर वैसे भी मायके जाकर करना क्या है। अब तक शांति अर्चना को बेवकूफ बना रही थी। पर आज तो शांति अर्चना को साफ-साफ मायके जाने से मना कर देती है।
बेचारी अर्चना कुछ नहीं कह पाती और चुपचाप वहां से चली जाती हैं। अब इसी तरह से 2 महीने बीत जाते हैं और एक दिन फिर अर्चना मायके जाने की बात करती है। मां जी अब तो दो महीने हो गए है। मैं अब तक एक बार भी अपने मायके नहीं गई। एक बार मुझे मेरे मायके जाने दो मैं एक दिन में वापस आ जाऊंगी पक्का।
अरे बहु तू तो पांच साल के छोटे बच्चे की तरह जिद करती है। यहां मेरे घुटने का दर्द नहीं जा रहा और तुझे मायके जाना हैं। पर मां जी… आह… मेरे जोड़ों का दर्द.. तेरे मायके जाने की बात हम बाद में करेंगे फिलहाल तो अभी तुम मेरे लिए दवाई ला दे और थोड़ी चाय बना दें। आह..चाय नहीं पीना आज सर में दर्द हो रहा है यह बुढ़ापे का दर्द जीने नहीं देगा। ठीक है मां जी अभी लाती हूं।
बेचारी अर्चना मुंह बनाकर वहां से चली जाती है। पर अपनी सास को कोई जवाब नहीं दे पाती है अब समय यूं ही बीतता है और देखते ही देखते छः महीने बीत जाते हैं। अर्चना की शादी को छः महीने हो गए थे पर अब तक वह एक बार भी अपने मायके नहीं गई थी। धीरे-धीरे अर्चना का अंदर का गुस्सा बाहर आने लगता है। ऐसे ही एक दिन अर्चना गुस्से में अपनी सास से कहती हैं मां जी आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है मुझसे खाना नहीं बन पाएगा विवेक जी से बोलिए कि बाहर से कुछ ले आए। वैसे भी घर में हम तीन ही तो जने हैं। अरे बहू तेरी तबीयत ठीक नहीं थी तो मुझे बता देती मैं खुद बना लेती सीधा-सीधा क्यों नहीं कहती कि तेरा बाहर का खाने का मन है वैसे अच्छी बात है कभी-कभी बाहर का खा लेना चाहिए। मेरा भी बहुत मन कर रहा है जरा विवेक को फोन लगा मैं बात करती हूं विवेक से मेरी बात नहीं टालेगा।
शांति की यह बात सुनकर अर्चना विवेक को फोन करने लगती है। कि उसी समय अर्चना की मां का फोन आ जाता है। और एक बार फिर अर्चना की मां उसे घर आने के लिए कहते हैं पर हर बार की तरह इस बार भी अर्चना बहाने मार कर फोन काट देती हैं। अरे बहू तूने फोन क्यों काट दिया मेरे सामने ही बात कर लेती और अपनी मां पर इतना नाराज क्यों होती है वो मां हैं तेरी। बुढ़िया मैं नाराज अपनी मां से नहीं तुझसे हूं.. मन नहीं था मां जी मेरा क्योंकि मां जब भी फोन करती हैं घर आने की बात करती हैं और आप तो मुझे कहीं जाने देने से रही।
अरे बहु इतनी भी बुरी नहीं हूं। मैं हर समय ताने मत मारा कर मुझे अगर तेरा अपने घरवालों से मिलने का इतना ही दिल करता है तो वीडियो कॉल कर लिया कर उनको। अरे तुम फोन पर भी तो देख सकती हैं आजकल टेक्नोलॉजी का जमाना है। फिर घर क्यों जाना इतना बोलकर शांति मुस्कुराती हुई वहां से चली जाती है। शांति का यह रवैया देखकर अर्चना का गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ जाता हैं। वह अब अपनी सास को सीधा करने का प्लान बना लेती हैं और रात को जब विवेक घर आता है तो अर्चना विवेक को कमरे में बंद कर देती है। और विवेक को उसका खाना भी कमरे में ही देती हैं और खुद अपनी सास के साथ खाने के लिए बैठ जाती हैं।
अरे विवेक आ गया खाना लेकर अच्छा बहू तूने विवेक को फोन तो कर दिया था ना खैर यह सब छोड़ अच्छा किया तूने जो फटाफट खाना भी लगा दिया। अब जल्दी से विवेक को बुला ले सब साथ में बैठकर खाएंगे। रहने दीजिए ना मां जी आज हम दोनों साथ में खाना खा लेते हैं विवेक जी कमरे में ही खा रहे है। क्या वो कमरे में खा रहा है अच्छा चलो भाई जैसी उसकी मर्जी थक गया होगा मेरा बच्चा अब दोनों सास बहू साथ में बैठकर खाना खाती है। अगली सुबह फिर से अर्चना विवेक को जल्दी ऑफिस भेज देती है और शांति विवेक को देख भी नहीं पाती अब इसी तरह से रात को फिर से विवेक घर आता है और अर्चना विवेक को कमरे में बंद कर देती हैं।
पिछले दो दिनों से शांति ने विवेक को दिखा ही नहीं था। अब वह अर्चना से कहती है अरे बहू विवेक कहां है कमरे से बाहर ही नहीं आता और सुबह भी मेरे कमरे से बाहर निकलने से पहले ऑफिस चला जाता है। हां मां जी क्योंकि मैंने उन्हें कमरे में बंद कर रखा है। क्या तूने मेरे बेटे को कमरे में बंद कर रखा है तेरा दिमाग तो खराब नहीं हो गया तू मेरे बेटे से मुझे दूर रखना चाहती है। अभी-अभी उसे कमरे से बाहर निकाल दो दिन हो गए मैंने अपने बेटे को देखा ही नहीं।
मां जी 2 दिन से आपने अपने बेटे को नहीं देखा तो आप इतना गुस्सा हो रही है मैंने अपनी मां को पिछले छः महीने से नहीं देखा। अर्चना की बात सुनकर अब शांति समझ जाती है की अर्चना ने विवेक को कमरे में क्यों बंद किया है बहु तू मुझसे बदला ले रही है। क्योंकि मैं तुझे तेरे मायके नहीं जाने दिया इसलिए अब तुम मुझे मेरे बेटे से दूर करना चाहती हैं। तू अभी दरवाजा खोल मैं अभी अपने बेटे को देखूंगी और उससे मिलूंगी। मां जी आपसे किसने कहा कि मैं आपको आपके बेटे से दूर करना चाहती हूं या मैं आपको आपके बेटे को देखने नहीं देना चाहती।
अरे टेक्नोलॉजी का जमाना है वीडियो कॉल पर बात कर लो मिलना देखना दोनों हो जाएगा और वैसे भी आपका बेटा रोज आपके ही घर में आता हैं। बस आपकी नजरों के सामने नहीं आ पा रहा है। याद है ना आपने मुझे क्या कहा था जब टेक्नोलॉजी का जमाना तो घर क्यों हो जाना। अगर आपको विवेक जी की इतनी ही याद आ रही है चिंता सता रही तो कॉल कर लीजिए। उनका फोन उनके पास ही है।
देख बहू ये तू सही नहीं कर रही है चुपचाप से चाबी मुझे दे दे। शांति बार-बार अर्चना से कमरे की चाबी मांगती है। पर अर्चना चाबी नहीं देती। अब शांति गुस्से में खुद विवेक के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो जाती है और विवेक से कहती हैं देख रहा है बेटा तेरी बीवी पागल हो गई है। वह तुझे मुझसे दूर करना चाहती हैं। उसने तुझे कमरे में बंद कर रखा है। मां यह सब आपकी वजह से ही हो रहा है। आपने भी तो उसे उसके घर वालों से दूर कर दिया।
अरे एक दिन के लिए अगर वह मायके जाना चाहती हैं। तो जाने दो ना कम से कम आपकी गलती की सजा मुझे तो नहीं मिलेगी। दो दिन से कमरे में ही कैद हूं मैं। अब आप कुछ भी करके मुझे बाहर निकालो। हां हां बेटा मैं करती हूं कुछ निकालती हूं तुझे बाहर। ऐ बहू मेरे बेटे को बाहर निकाल दे तू जो कहेगी मैं वही करूंगी। तुझे मायके जाना है ना छः महीने हो गए तुझे मायके गए हुए जा तुझे जब तक रहना है आराम से रहना पर अब मेरे बेटे को खोल दे। मैं अब और ज्यादा अपने बेटे से दूर नहीं रह सकती।
यह हुई ना बात पर अब कल फिर अपनी बात से पलट गई तो इसलिए कल जब मैं मायके जाऊंगी तो मैं आपके कमरे की चाबी देकर जाऊंगी। फिर आराम से मिल लेना अपने बेटे से। इस बार अर्चना अपनी सास की बातों में नहीं आई और वह एक शर्त रख देती हैं। अब क्या था शांति के पास अपनी बहू की बात मानने के अलावा और कोई दूसरा रास्ता ही नहीं था। इसलिए वह अर्चना की बात मान जाती है और अगली सुबह जब अर्चना अपने मायके जाने लगती है। तो वह कमरे की चाबी बाहर फेंक कर चली जाती हैं इसके बाद बेचारी शांति कमरे का लॉक तुड़वाकर अपने बेटे से मिलती हैं।