सासू मां की पसंद का खाना – पुरण देवासी : Moral stories in hindi

माला की नई नई शादी हुई थी वह ससुराल में सबको नए-नए पकवान बना कर खिलाती और सब बहुत खुश रहते थे। अरे माला ये क्या तू रोटी सब्जी बना रही है। मां जी कई दिनो से रोज इतना तेल मसाला खा रहे हैं तो मैंने सोचा आज थोड़ा सादा खाता बना लूं। क्यों यह तेल मसाला तेरे मायके से आया है में तो पुरी हलवा ही खाऊगी समझ गई। जी….. ठीक है मां जी मैं आपके लिए पुरी हलवा बना दूंगी।

ठीक है और शाम को मैं कचौरी खाऊंगी उसकी भी तैयारी कर लेना। जी मां जी। अब कुतती रोज नई नई फरमाइशे करने लगी। सुन बहू मैंने कई दिनों से छोले भटूरे नहीं खाए आज शाम को खाऊंगी।

फिर, मां जी मैंने आज शाम का खाना जल्दी बना लिया है वो शाम को हमें बाहर, जाना है ना इसलिए।

अच्छा खुद बाहर जाकर चाट पकौड़ी खाएंगी और मेरे लिए दाल रोटी बनाकर रख दी है। नही नहीं मां जी बहुत ही स्वादिष्ट गोभी की सब्जी भी है। हा हा गला ही क्यू नहीं दबा देती एक बार में मेरा बुढ़ापे में भी मैं अपनी मर्जी का ना खा पाई तो मेरा जीने का क्या फायदा। ऐसा मत कहिए मां जी मैं आपके लिए थोड़े से छोले भटूरे बना देती हूँ कुंती खुश हो जाती है।

अगले दिन यह क्या है। ये एरफायर है मां जी इसमें खाना तलने में तेल घी का उपयोग नहीं करना पड़ेगा। अरे ऐसे खाने में क्या स्वाद इससे तो अच्छा आदमी भूखा ही रह ले ।

अरे मां जी इससे आप बिना सेहत की परवाह किए तले हुए भोजन का स्वाद का आनंद ले सकती है। ऐसे खाने में क्या आनंद और देवानंद तू अपने लिए ही बना “ये सब मेरे लिए तो अच्छे घी में तलके प्याज के पकोड़े बना दें।

पर मां जी इस तरह रोज रोज इतना तेल खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। चल चल मुझे यह सब मत सिखा और जितना कहा है. उतना कर। अच्छा जैसी आपकी मर्जी।

मोहत मुझे लगता है आपको मांजी से बात करनी चाहिए। किस बारे में हमारी शादी को 2 महिने हो गए हैं। आज तक 1 दिन भी ऐसा नहीं गया जब मां जी ने दाल रोटी खाई हो इतना तेल सेहत के लिए बहुत नुकसान दायक है वो भी इस उम्र में। अरे.. मां हमेशा से ही ऐसा खाना खाने की शोकिन रही है और कल तो तुमने रोटी और गोभी की सब्जी भी बनाई थी ना । बनाई तो थी पर मां जी अपने लिए अलग से छोले भटूरे बनवाये थे।

अच्छा तो अब से तुम उनका खाना एरफायर मे बनाया करो। पर वो माने तब ना कह रही थी की उसमें बना हुआ खाना और भूचें में कोई फर्क नहीं है। क्या… हे भगवान मां को कैसे समझाऊं की ऐसा खाना सेहत के लिए अच्छा नहीं है। कुछ सोचना तो पड़े‌गा।

अगले दिन कुंती शाम को 6:00 की बजाय 8:00 बजे सोकर उठती है। सामने मोहन उसका डॉक्टर दोस्त राम और माला खड़े हैं। क्या हुआ मैं अब उठ रही हूं और राम तुम कैसे हो बैठो बैठो। मैं तो ठीक हूं पर आप बिल्कुल ठीक नहीं है। हा मां तुम सोकर नहीं उठी हो तुम सोते सोते ही बेहोश हो गई थी। माला ने झटपट मुझे फोन किया और मैंने राम को बुलाया।

क्या मैं तो अच्छी भली कड़ाही पनीर और गुलशा खाकर सोई थी. मुझे क्या हुआ। आपका कलास्ट्रोल काफी बढ़ गया है आंटी जी कभी भी हार्ड अटैक आ सकता है।

हाय.. हाय शुभ शुभ बोल हार्ड अटैक आए मेरे दुश्मनो को। अटैक आए उस कलमुही मीणा को जिसने बचपन में मेरे बस्ते से काजू चुराये थे मुझे क्या हुआ है।

कालपोल नहीं कोलेस्ट्रॉल मां जी ज्यादा तेल खाने से नसों में तेल जम जाता हैं और आपकी हालत तो बहुत ज्यादा खराम है। अगर माला समय पर फोन ना करती तो आपकी जान भी जा सकती थी। क्या इस भरी जवानी मे पर अब मुझे क्या करना होगा।बस दो महिने के लिए तेल घी बिल्कूल बंद उसके बाद आपका टेस्ट करेंगे फिर आप सीमित मात्रा में सब खा पाएंगी । पर राम बेटा अब मैं क्या खाऊगी।

मैं हूं ना मां जी आप जो कहेगी मैं सब बनाऊगी बस बिना तेल का उपयोग किए। ठीक है अब तू जो कहेगी वो ही होगा इस घर में तेरा ही राज चलेगा मुझे दो समय का खाना तो दिया करेंगी ना। अरे मेरी एक्टर मां यह माला नहीं डॉक्टर कह रहा है। हां हां ठीक है समझ गई अच्छा बेटा राम क्या आज रात हलवा, पूरी खा लूं कल से तो जिंदगी दुश्वार होने वाली है।

हा ठीक हैं, आज रात खा लीजिए छूट है आपको। तेरा लाख लाख शुगर है भगवान मेरी जान बख्स दी जाने कहा से ये कोलेस्ट्रॉल पीछे लग गया। पर तुमने ये किया कैसे। अरे मैने राम भैया से पूछकर मां जी की चाय में एक नींद की गोली डाल दी थीइसीलिए रोज से ज्यादा देर तक सोती रही । वाह मेरी अकल मंद बीवी। मानना पड़ेगा भाभी आपका प्लान तो काम कर गया। अरे, अपनी मां जीं को अपने हाथों बीमार कैसे हो जाने दूं। और सब हंसने लगे।

शिक्षा – सेहत ही असली धन हैं।

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